मसूरी पुरूकुल रोपवे लगाने के लिए लाइब्रेरी स्थित सिफन कोर्ट से हटाये गये 84 मजदूर परिवारों को बेघर हुए पांच साल होने पर शिफन कोर्ट समिति ने काला दिवस मनाया व शहीद स्थल पर धरना दिया व मांग की कि उन्हें आवास उपलब्ध कराये जायें।
शहीद स्थल पर सिफन कोर्ट के बेघरों ने धरना दिया व सभा की जिसमें कहा गया कि पांच साल होने के बाद भी उन्हें आवास उपलब्ध नहीं कराये गये जबकि तत्कालीन समय में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व प्रदेश के काबीना मंत्री गणेश जोशी ने आईडीएच में भूमि पर आवास बनाये जाने का शिलान्यास किया था जो माता मंगला के हंस फाउंडेशन के माध्यम से बनाये जाने थे। लेकिन अभीतक इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नजर नहीं आ रहे। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा ने कहा कि 24 अगस्त 2020 को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बरसात के बीच सिफन कोर्ट के 84 परिवारों के मकान तोड़ दिए गये थे जिस पर मंत्री गणेश जोशी ने माता मंगला के हंस फाउंडेशन के माध्यम से मकान बनाने का आश्वासन दिया था। जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री धामी व मंत्री गणेश जोशी ने किया। उसके बाद कहा गया कि पालिका ने भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव हंस फाउंडेशन को नहीं दिया जिस पर तत्कालीन बोर्ड ने प्रस्ताव पास कर शासन व हंस फाउंडेशन को दे दिया था उसके बाद भी आज तक मकान नहीं बनाये गये जिससे बेघर मजदूरों में आक्रोश बढ रहा है। धरने पर मौजूद पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता, आरपी बडोनी, पालिका सभासद गीता कुमाई आदि ने भी अपने संबोधन में इसे मजदूरों का उत्पीड़न बताया व कहा कि प्रदेश सरकार ने एक बडे उद्योगपति को रोपवे के नाम पर भूमि दे दी लेकिन आज तक उनके आवास नहीं बनाये गये। वक्ताओं ने कहा कि शिलान्यास के बाद कहां मामला अटका है उसे देखा जायेगा व माता मंगला से मिला जायेगा अगर वह नहीं बनाती तो राधा स्वामी के सहयोग से आवास बनाने का प्रयास किया जायेगा। वक्ताओं ने यह भी कहा कि दो सितंबर को यह मामला एक बार फिर मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जायेगा। इस मौके पर राजेंद्र सेमवाल, पूर्व सभासद दर्शन रावत, प्रताप पंवार, नरेंद्र मल्ल, कमल भंडारी, पूरण जुयाल, सहित सिफन कोर्ट के बेघर मौजूद रहे।