जन्माष्टमी व स्वतंत्रता दिवस पर श्री सिद्ध विष्णु सुदर्शन कवच आर्यम महानुष्ठान संपन्न

मसूरी आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं भारतीय स्वतंत्रता दिवस के शुभ दिवस पर नोएडा सेक्टर 27 स्थित फार्च्यून सभागार में श्री सिद्ध विष्णु सुदर्शन कवच चक्र अनुष्ठान संपन्न हुआ। देश के विभिन्न प्रांतों से असंख्य श्रद्धालु इस महापूजा के भागी बनें। समस्त कार्यक्रम ट्रस्ट के कुलप्रमुख परमप्रज्ञ जगदगुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज के सानिध्य में हुआ। गुरुदेव के श्री मुख से निकले वैदिक मंत्रों की गूंज नोएडा में सर्वत्र विस्तारित हुई।
गुरुदेव श्री आर्यम ने बताया कि ‘सुदर्शन चक्र’ भगवान विष्णु का प्रमुख आयुध है, जिसे हिन्दू पुराणों में महान महत्व प्राप्त है। मत्स्य-पुराण के अनुसार, सूर्य देव के प्रखर तेज को नियंत्रित करने के लिए विश्वकर्मा जी ने सूर्य के तेज को ‘चक्र-भूमि’ पर स्थापित किया और उस तेज के पुंज को ब्रह्माजी ने एकत्र कर विष्णु जी, शिवजी, और इंद्र के लिए परिणत कर दिया। भगवान शिव ने श्रीकृष्ण या विष्णु को यह चक्र सौंपा, ताकि वे दुष्टों का संहार कर सकें और साधुजनों की रक्षा हो सके। शिव-पुराण, पद्म-पुराण, वामन-पुराण आदि ग्रंथों में इस चक्र की उत्पत्ति, शक्ति और महत्व को अनेक घटनाओं के माध्यम से उजागर किया गया है। श्री आर्यम गुरुदेव का कथन है कि ‘सुदर्शन-चक्र’ केवल एक हथियार नहीं बल्कि धर्म और न्याय की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। हमारे देवी देवता जहाँ करुणा और दया का प्रतिनिधित्व करते हैं वही वक्त आने पर असुरों का नाश भी करते हैं। चूँकि धर्म, शक्ति की छाया में ही जीवित रह सकता है। इस प्रकार ‘सुदर्शन चक्र’ भारतीय धार्मिक ग्रंथों में शक्ति, सुरक्षा और दिव्यता का आदर्श प्रतीक है। अपने ज्ञान आलोक से गुरुदेव ने भक्तजनों को सुदर्शन कवच के लाभ के विषय में प्रकाशित किया। जिस भाँति सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्ण ने असुरों और समस्त नकारात्मक शक्तियों का संहार किया था उसी प्रकार आमजन भी इस विशेष पूजा से ब्रह्मांडीय क्षेत्र में स्वयं की सुरक्षा निश्चित करते हैं। जिन परिस्थितियों से भारत गुज़र रहा है ऐसे में यह महानुष्ठान समस्त देश वासियों की धार्मिक चेतना को उजागर करता है। ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया कि किस तरह आर्यम जी महाराज इन विशेष पूजा अर्चनाओं से सनातन को समस्त विश्व में स्थापित कर रहे हैं। सनातन ही धर्म है और इसी धर्म से आज आर्यम गुरुदेव के सानिध्य में विश्व भर में शिष्यों का जीवन रूपांतरित हो रहा है। ये रूपांतरण स्वयं की चेतना को जगाता है, आत्म बल बढ़ाता है, अपने देश और धर्म के प्रति ज़िम्मेदार बनाता है, और जिस सत्य सनातन का झंडा देश भर में फहरता था, उस दिशा में यह देश अग्रसारित होता है। अनुष्ठान में देश भर से पधारे सैकड़ों हरि भक्तों ने अपने अराध्य के गुणगान में उपस्थित होकर स्वयं को उपकृत अनुभव किया इससे पूर्व प्रातःकाल श्री आर्यम जी महाराज ने इस वर्ष के स्वाधीनता दिवस का झंडारोहण भी किया। समारोह के आयोजन में राकेश रघुवंशी, संध्या रघुवंशी, सुनील कुमार आर्य, प्रीतेश आर्यम, श्वेता जयसवाल, मनजीत, प्रदीप यादव, शालिनी, देवेन्द्र गोला, सोनिया कुंदन, अजीत कुंदन आदि का सहयोग रहा।

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